सौर उत्पादन का राजस्थानी गांव
भदला जोधपुर के उत्तर में लगभग 200 किमी और राज्य की राजधानी जयपुर से लगभग 320 किमी पश्चिम में स्थित है। ऊंचाई से देखने पर भदला एक शुष्क रेगिस्तान के बीच में नीले कांच का समुद्र जैसा प्रतीत होता है। जहाँ तक आँख देख सकती है, यह बादलहीन आकाश के विरुद्ध केवल चमकीला नीली चादर जैसा दिखता है।. भारत का भदला सोलर पार्क दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पावर पार्क है। जो 14,000 एकड़ में फैला है। पार्क में 10 मिलियन से अधिक सौर पैनल हैं, जो 2245MW की बिजली का उत्पादन करने में योगदान करते हैं।
चीन को भी छोड़ा पीछे
भदला सोलर पार्क ने सूरज की रोशनी से 2245 मेगावाट बिजली का उत्पादन शुरु करके 2021 से चीन के सबसे बड़े सोलर पैनल पार्क को पीछे छोड़ दिया है। मेरकॉम इंडिया संस्था ने भदला सोलर पार्क को विश्व का सबसे बड़ा सोलर पार्क घोषित किया है।. पहले कर्नाटक का पावागढ़ सोलर पार्क भारत का सबसे बड़ा सोलर पावर प्लांट था। भदला ने कर्नाटक के पार्क को भी पीछे छोड़ दिया है और अब ये भारत के गौरव का कारण है।
भदला ही क्यों?
भदला राजस्थान का सूखा और रेतीला क्षेत्र है, इस क्षेत्र को इसके वातावरण के कारण लगभग रहने योग्य नहीं के रूप में माना गया है। भदला में सामान्य तापमान 46 और 48 डिग्री सेल्सियस (115 और 118 डिग्री फारेनहाइट) के बीच रहता है और गर्मियों में यह 50 डिग्री तक चला जाता है जो कि सोलर पावर प्लांट के लिए बहुत ही उत्तम है।
कितने का निवेश है
भदला सोलर पार्क में करीब 9900 करोड़ का निवेश है। इस सोलर प्लांट्स से सालाना 33 हजार 165 लाख यूनिट बिजली बनेगी।
भदला से ऊर्जा की सप्लाई
सोलर पार्क में बनने वाली बिजली सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया व एनटीपीसी खरीद रहा है।. बिजली को ग्रिड सब-स्टेशन व हाइटेंशन लाइनों के जरिए प्रदेश के अलग अलग हिस्सों में पहुंचाया जा रहा है। यहां पहले फेज में लगे प्लांट से मिल रही बिजली की टैरिफ 6.45 रुपए प्रति यूनिट है। वहीं बाद में बने प्लांट्स से न्यूनतम टैरिफ 2.44 रुपए प्रति यूनिट तक बिजली मिल रही है।
राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड (RVPNL) तथा पावरग्रिड कारपोरेशन लिमिटेड (PGCIL) ने पार्क को ग्रीन कॉरिडोर से जोड़ा जो राष्ट्रीय ग्रिड से जुड़ता है जहां से कोई भी राज्य भादला से ऊर्जा प्राप्त कर सकता है। अभी उत्तर प्रदेश नेटवर्क के माध्यम से पार्क से 750MW ऊर्जा प्राप्त करता है, जबकि बाकी की क्षमता का उपयोग राजस्थान के बिजली वितरकों द्वारा किया जाता है।
विकसित होने के चार फेज
भदला सोलर पार्क चार फेज में विकसित हुआ है। इसके बारे में विस्तार से बात करते हैं।
पहला फेज
भदला सोलर पार्क फेज-I में कुल 75 मेगावाट क्षमता के 7 सोलर पावर प्लांट हैं।. राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम ने अपनी सहयोगी कम्पनी राजस्थान सोलरपार्क डवलमेन्ट कम्पनी लिमिटेड (आरएसडीसीएल) के माध्यम से 75 मेगावाट क्षमता के भदला सोलर पार्क फेज-1 की स्थापना की गई है।
दूसरा फेज
आरएसडीसीएल द्वारा फेज-II में कुल 680 मेगावाट क्षमता के 10 सोलर पावर प्लांट विकसित किए गए हैं।. राजस्थान सोलर पार्क डवलमेन्ट कम्पनी लिमिटेड (आरएसडीसीएल) द्वारा 680 मेगावाट क्षमता के भदला फेज-2 सोलरपार्क को स्थापित किया गया है।. आरएसडीसीएल द्वारा इस पार्क में आधारित संरचनाऐं जैसे सड़क, पानी की व्यवस्था, रोडलाइट 220 केवी के 2 जीएसएस एवं उनसे सम्बधित 220 केवी एवं 132 केवी लाइनों का निर्माण किया गया है।
तीसरा फेज
तीसरे फेज में 1,000 मेगावाट की संयुक्त क्षमता वाले दस सोलर पावर प्लांट हैं।. 1000 मेगावाट क्षमता के भदला फेज-3 सोलरपार्क की स्थापना मैसर्स सौर्य ऊर्जा कम्पनी ऑफ राजस्थान लिमिटेड (राजस्थान सरकार व मैसर्स आई.एल.एण्ड एफ. एस डवलमेन्ट कम्पनी लिमिटेड की संयुक्त साझेदारी कम्पनी) द्वारा की जा रही है।. इस पार्क में 1000 मेगावाट क्षमता के सोलर पावर प्रोजेक्टस की स्थापना के लिये चार विकासकर्ताओं का चयन सोलर एनर्जी कारपोरेशन द्वारा कर लिया गया है जो हीरो फ्यूचर एनर्जी (300MW), सॉफ्टबैंक ग्रुप (200MW), ACME सोलर (200MW) और SB एनर्जी (300MW) हैं।
चौथा फेज
फेज चार में 500MW की संयुक्त क्षमता वाले दस सोलर पावर प्लांट हैं।. 500 मेगावाट क्षमता के भड़ला फेज-4 सोलर पार्क की स्थापना मैसर्स अडानी रिन्युएबल एनर्जी पार्क राजस्थान लिमिटेड (राजस्थान सरकार व मैसर्स अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड की संयुक्त साझेदारी कम्पनी) द्वारा की जा रही है।
इस पार्क में 500 मेगावाट क्षमता के सोलर पावर प्रोजेक्टस की स्थापना के लिये 5 विकासकर्ताओं का चयन सोलर एनर्जी कारपोरेशन द्वारा कया गया है। Azure पॉवर (200MW), ReNew सोलर पावर (50MW), फेलन एनर्जी ग्रुप (50MW), अवादा पावर (100MW), और SB एनर्जी (100MW) चौथे चरण के तहत सोलर पावर प्लांट का विकास कर रहे हैं।. इस पार्क को नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सोलरपार्क एवं मेगा सोलर पावर प्रोजेक्टर्स योजना के अंतर्गत स्वीकृत किया गया है।
भदला का विकास
भदला में सोलर पावर पार्क ने भूमि, ठेकेदारों, विक्रेताओं, सामग्री विक्रेताओं और कई अन्य इको सिस्टम लोगों की मांग को बढ़ावा दिया है।. जमीन की मांग बढ़ी है, कीमतें 10 गुना बढ़ी हैं। परियोजना के विकास और निर्माण की होड़ ने कई अन्य सिविल कार्यों के लिए सीमेंट, रेत, स्टील और उपकरणों की मांग बढ़ी है। होटल आवास, परिवहन और अन्य सेवाओं में भी वृद्धि देखी गई है।
बंजर गाँव अब एक औद्योगिक केंद्र है। इसने कई लोगों के लिए रोजगार पैदा किया है, कुछ इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) ठेकेदार, विक्रेता और प्रोजेक्ट मैनेजर बन गए हैं। भदला ने कई ईपीसी ठेकेदार बनाए जो पूरे देश में सौर ऊर्जा केंद्रों में हैं।
भदला सोलर पार्क में कई कंपनियों ने निवेश किया है तथा यहां टेक्नीशियनों की बड़ी संख्या में जरूरत है। ऐसे में मारवाड़ व आसपास के इलाके के युवा आईटीआई व पॉलोटेक्निकर यहां पर टेक्निशयन की नौकरी कर सकते हैं। पहले इस क्षेत्र के युवा केवल खेती व सरकारी नौकरी पर ही निर्भर होते थे किंतु इस प्रोजेक्ट की वजह से युवा अब केवल खेती पर ही निर्भर नही रहेंगे।
निष्कर्ष
भारत के बिजली उत्पादन में कोयले का 70% हिस्सा है जो पर्यावरण के लिए चिंता का विषय है। किंतु भदला सोलर पार्क देश की 40% ऊर्जा खपत को अक्षय स्रोतों की ओर मोड़ने और केंद्र के 500-GW उत्पादन लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक निर्णायक कदम साबित हुआ है। भदला के बिना यह संभव नहीं होगा।